मन के इसी मंदिर में चीर प्रतीक्षित प्रेम भी प्रकट होता है ! मन के इसी मंदिर में चीर प्रतीक्षित प्रेम भी प्रकट होता है !
चुपके से वो ग्वाला मेरे ऊर-आंगन में आ जाता है। चुपके से वो ग्वाला मेरे ऊर-आंगन में आ जाता है।
खुद को पहले ही तेरे नाम कर रखा है मैंने। खुद को पहले ही तेरे नाम कर रखा है मैंने।
काश बाबा इस धरा पर फिर से तुम आते काश बाबा इस धरा पर फिर से तुम आते
मिट्टी का सोने से क्या मूल्य हुआ बस मत पलटना अपना मत, कहता है हरेक जन। मिट्टी का सोने से क्या मूल्य हुआ बस मत पलटना अपना मत, कहता है हरेक जन।
माया कभी भी छू सके न वही कराते भवसागर पार। माया कभी भी छू सके न वही कराते भवसागर पार।